Sunday, December 27, 2015

[Editorial # 3] सिर्फ यूरोप पर बोझ न बढ़े

यह संपादकीय हिंदुस्तान समाचार पत्र में दिनांक २७ दिसंबर को प्रकाशित हुआ है. इस संपादकीय को पढ़ कर निम्नलिखित प्रश्नों का अपने शब्दों में उत्तर दें. 

दस लाख या फिर उससे ज्यादा.. वर्ष 2015 के खत्म होते-होते अनगिनत शरणार्थियों को यूरोप की सीमा पार करने की मंजूरी मिली है। युद्ध, सांप्रदायिक तनाव, गरीबी और सुखद भविष्य की चाह के कारण लाखों लोग अपने भाग्य के साथ समझौता करने को बाध्य हुए हैं। वे सीरिया, इराक, अफगानिस्तान से आए हैं। वे उत्तर अफ्रीका के हिस्सों से आए हैं। सीमा पर रोक, भूमध्यसागर की अशांत गहराई या आक्रामक कोस्ट गार्ड- कुछ भी उन्हें रोक नहीं सके। शुरू में उनके लिए यूरोप के दरवाजे जरूर बंद रहे, मगर जर्मनी ने अपनी सीमा खोलकर सकारात्मक बदलाव की शुरुआत कर दी। यह दूसरों को प्रेरित करने वाला कदम था। इसके लिए चांसलर एंजेला मर्केल को पूरे विश्व में तारीफ मिली। हालांकि कुछ रुकावटें भी आईं, जैसे कि हंगरी का जेनोफोबिक अभियान, मगर संकट से निपटने के लिए यूरोपीय आयोग की पहल स्वागतयोग्य रही। हालांकि ज्यों-ज्यों शरणार्थियों की संख्या बढ़ रही है, यूरोपीय संघ अब ज्यादा बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है। शरणार्थियों के लिए एक समान दृष्टिकोण अपनाने में ब्रसेल्स यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देशों को मनाने में सफल नहीं हो पाया है। राष्ट्रीय आकांक्षाओं और सुरक्षा चिंताओं की वजह से यूरोपीय संघ के सदस्य देश अक्सर उन लोगों के प्रति रुखा व्यवहार दिखा चुके हैं, जो उम्मीदों के साथ उनके दरवाजे पर खड़े हैं। मसलन, शरणार्थियों के लिए कोटा तय करने संबंधी स्वैच्छिक कार्यक्रम को लेकर भी कई सदस्य देश उदासीन रहे। इसी कारण सभी सदस्य देशों पर यह दबाव डाला गया कि वे अपने हिस्से के शरणार्थियों को जगह दें। हालांकि इसे लेकर बाध्याकारी प्रावधान तय करने की वकालत करने के विपरीत इस सबसे बड़ी मानवीय समस्या को सहानुभूति की नजर से देखना चाहिए। जरूरत शरणार्थी समस्या के मूल कारण पर भी ध्यान देने की है। शरणार्थी समस्या एक वैश्विक मानवीय आपदा है, और चूंकि प्रवासियों के लिए सभी राहें यूरोप की ओर जाती दिख रही हैं, लिहाजा वैश्विक समुदायों को भी बराबर मात्र में यह भार उठाने के लिए आगे आना चाहिए। 
गल्फ न्यूज, संयुक्त अरब अमीरात

प्रश्न :
१. इतनी भारी मात्रा में शरणार्थी यूरोप की सीमा क्योँ पार कर रहे हैं ?
२. ये शरणार्थी कहाँ से पलायन कर रहे हैं?
३. सीरिया, इराक और अफ़ग़ानिस्तान को विश्व के मानचित्र में अंकित करें । 
४. भूमध्यसागर के चारो ओर कौन कौन से देश हैं?
५. हंगरी का जेनोफोबिक अभियान का अभियान क्या है?
६. यूरोपीय संघ क्या है? कौन से देश इसके सदस्य हैं?
७. यूरोपीय आयोग और यूरोपीय संघ में क्या अंतर है?
८. क्या शरणार्थी समस्या एक वैश्विक मानवीय आपदा है? कैसे?
९. शरणार्थी समस्या से निपटने के लिए यूरोपीय संघ एवं अन्य देशों ने क्या कदम उठाये हैं? उन्हें किन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है?


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